5. जब जनता बगावत करती है | History class 8 exercise महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर
5. जब जनता बगावत करती है | History class 8 exercise महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर ncert book solution in hindi-medium
NCERT Books Subjects for class 8th Hindi Medium
मुख्य बिंदु
अध्याय - समीक्षा:
- ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों का जनता, राजाओं, रानियों, किसानों जमींदारों, आदिवासियों सिपाहियों, सब पर तरह-तरह से असर पड़ा |
- जो नीतियाँ और कारवईयाँ जनता के हित में नहीं होती थी या उनके भावनाओं को ठेस पहुँचाती थी तो लोग उनका विरोध करते थे |
- अठारहवीं सदी के मध्य से ही राजाओं और नबाबों की ताकत छीनने लगी थी | उनकी सत्ता और सम्मान दोनों छीनने लागे थे |
- बहुत सारे राजदरबारों में रेजिडेंट तैनात कर दिए गए थे |
- स्थानीय शासकों की स्वतंत्रता घटती जा रही थी | उनकी सेनाओं को भंग कर दिया गया था |
- उनके राजस्व वसूली के अधिकार व इलाके एक-एक करके छीने जा रहे थे |
- झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई चाहती थीं कि कंपनी उनके पति की मृत्यु के बाद उनके गोद लिए हुए बेटे को राजा मान ले |
- पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब ने कंपनी से आग्रह किया कि उनके पिता को जो पेंशन मिलती थी वह उनकी मृत्यु के बाद उन्हें मिलने लगे |
- अवध की रियासत अंग्रेजों के कब्जे में जाने वाली आखरी रियासतों में से थी |
- अवध को अंग्रेजों ने 1856 में अपने कब्जे में ले लिया |
- गर्वनर जनरल डलहौजी ने ऐलान कर दिया कि रियासत का शासन ठीक से नहीं चल रहा है | इसलिए शासन को दुरुस्त करने के लिए ब्रिटिश प्रभुत्व जरुरी है |
- कंपनी ने मुग़लों के शासन को पूरी तरह से ख़त्म करने के लिए कंपनी द्वारा जारी सिक्कों पर से मुग़ल बादशाह का नाम हटा दिया गया |
- बहादुर शाह जफ़र अंतिम मुग़ल बादशाह थे |
- गांवों में किसान और जमींदार भारी-भरकम लगान और कर वसूली के सख्त तौर तरीकों से परेशान थे और ऐसे बहुत सारे लोग महाजनों से लिया कर्ज नहीं लौटा पा रहे थे |
- भारतीय सिपाही जो कंपनी में काम करते थे अपने वेतन, भत्तों और सेवा शर्तों के कारण परेशान थे |
- कई नए नियम सैनिकों के धार्मिक भावनाओं और आस्थाओं को ठेस पहुँचाते थे |
- भारतीय समाज में सुधार के लिए अंगेजों ने सती प्रथा को रोकने और विधवा बिवाह को बढ़ावा देने के लिए कानून बनाए गए |
- 1830 के बाद कंपनी ने ईसाई मिशनरियों को खुलकर काम करने और जमीन सम्पति जुटाने की भी छुट दे दी |
- 1850 में एक न्य कानून बनाया गया जिसमें ईसाई धर्म अपनाने की छुट दी गयी थी इसमें प्रावधान था कि अगर कोई भारतीय व्यक्ति ईसाई धर्म अपनाता है तो पुरखों की सम्पति पर उसका अधिकार पहले जैसा ही रहेगा |
- जब सिपाही इकठ्ठा होकर अपने सैनिक अफसरों का हुक्म मानने से इंकार कर देते है तो उसे सैनिक विद्रोह कहते है |
- मई 1857 में शुरू हुई सैनिक विद्रोह से भारत में कंपनी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया था |
- सैनिक विद्रोह की शुरुआत मेरठ से शुरू हुई थी |
- 29 मार्च 1857 को युवा सिपाही मंगल पांडे को बैरकपुर में अपने अफसरों पर हमला करने के आरोप में फाँसी पर लटका दिया गया |
- सिपाहियों ने नए कारतूसों के साथ फौजी अभ्यास करने से इनकार कर दिया। सिपाहियों को लगता था कि उन कारतूसों पर गाय और सूअर की चर्बी का लेप चढ़ाया गया था।
- 85 सिपाहियों को नौकरी से निकाल दिया गया। उन्हें अपने अफसरों का हुक्म न मानने के आरोप में 10-10 साल की सजा दी गई। यह 9 मई 1857 की बात है।
- 10 मई को सिपाहियों ने मेरठ की जेल पर धावा बोलकर वहाँ बंद सिपाहियों को
आजाद करा लिया। उन्होंने अंग्रेज अफसरों पर हमला करकेउन्हें मार गिराया। - उन्होंने बंदूक और हथियार कब्शे में ले लिए और अंग्रेजों की इमारतों व संपत्तियों
को आग के हवाले कर दिया। - 10 मई की रात को घोड़ों पर सवार होकर मुँह अँधेरे ही दिल्ली पहुँच गई। जैसे ही उनके आने की ख़बर फैली, दिल्ली में तैनात टुकड़ियों ने भी बगावत कर दी। यहाँ भी अंग्रेज अफसर मारे गए।
- वे बादशाह से मिलना चाहते थे। बादशाह अंग्रेशों की भारी ताकत से दो-दो हाथ करने को तैयार नहीं थे लेकिन सिपाही भी अडे़ रहे।
- वे जबरन महल में घुस गए और उन्होंने बहादुर शाह ज़प़फर को अपना नेता घोषित कर दिया।बूढ़े बादशाह को सिपाहियों की यह माँग माननी पड़ी।
- स्वर्गीय पेशवा बाजीराव के दत्तक पुत्रा नाना साहेब कानपुर के पास रहते थे। उन्होंने सेना इकट्ठा की और ब्रिटिश सैनिकों को शहर से खदेड़ दिया। उन्होंने खुद को पेशवा घोषित कर दिया।
- उन्होंने ऐलान किया कि वह बादशाह बहादुर शाह जफर के तहत गवर्नर हैं।
- लखनउ की गद्दी से हटा दिए गए नवाब वाजिद अली शाह वेफ बेटे बिरजिस व़फद्र को नया नवाब घोषित कर दिया गया।
- बिरजिस कद्र ने भी बहादुर शाह ज़फर को अपना बादशाह मान लिया। उनकी माँ बेगम हज़रत महल ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोहों को बढ़ावा देने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
- झाँसी में रानी लक्ष्मीबाई भी विद्रोही सिपाहियों के साथ जा मिलीं। उन्होंने नाना साहेब के सेनापति ताँत्या टोपे के साथ मिलकर अंग्रेजों को भारी चुनौती दी।
- सितंबर 1857 में दिल्ली दोबारा अंग्रेजों केकब्शे में आ गई। अंतिम मुग्ल बादशाह बहादुर शाह जफर पर मुकदमा चलाया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई।
- उनके बेटों को उनकी आँखों के सामने गोली मार दी गई। बहादुर शाह और उनकी पत्नी बेगम शीनत महल को अक्तूबर 1858 में रंगून जेल में भेज दिया गया। इसी जेल में नवंबर 1862 में बहादुर शाह जफर ने अंतिम साँस ली।
- मार्च 1858 में लखनउ अंग्रेजों केकब्जे में चला गया। जून 1858 में रानी लक्ष्मीबाई की शिकस्त हुई और उन्हें मार दिया गया।
- ताँत्या टोपे मध्य भारत के जंगलों में रहते हुए आदिवासियों और किसानों की सहायता से छापामार युद्धचलाते रहे।
- अंग्रेजों ने लोगों का विश्वास जीतने के लिए वफादार भूस्वामियों के लिए ईनामों का ऐलान कर दिया।
- उन्हें आश्वासन दिया गया कि उनकी जमीन पर उनके परंपरागत अधिकार बने रहेंगे।
- जिन्होंने विद्रोह किया था उनसे कहा गया कि अगर वे अंग्रेजों के सामने समर्पण कर देते हैं और अगर उन्होंने किसी अंग्रेज की हत्या नहीं की है तो वे सुरक्षित रहेंगे और जमीन पर उनके अधिकार और दावेदारी बनी रहेगी।
- इसके बावजूद सैकड़ों सिपाहियों, विद्रोहियों, नवाबों और राजाओं पर मुकदमे चलाए गए और उन्हें फाँसी पर लटका दिया गया।
- अंग्रेजों ने 1859 के आखिर तक देश पर दोबारा नियंत्रण पा लिया था लेकिन अब वे पहले वाली नीतियों के सहारे शासन नहीं चला सकते थे।
अंग्रेजों ने जो अहम बदलाव किए वे निम्नलिखित हैं :
- 1. ब्रिटिश संसद ने 1858 में एक नया कानून पारित किया और ईस्ट इंडिया कंपनी के सारे अधिकार ब्रिटिश साम्राज्य के हाथ में सौंप दिए ताकि भारतीय मामलों को ज्यादा बेहतर ढंग से सँभाला जा सके। ब्रिटिश मंत्रिमंडल के एक सदस्य को भारत मंत्रा के रूप में नियुक्त किया गया। उसे भारत के शासन से संबंधित मामलों को सँभालने का जिम्मा सौंपा गया। उसे सलाह देने के लिए एक परिषद का गठन किया गया जिसे इंडिया काउंसिल कहा जाता था। भारत के गवर्नर-जनरल को वायसराय का ओहदा दिया गया। इस प्रकार उसे इंगलैंड के राजा/रानी का निजी प्रतिनिधि घोषित कर दिया गया। फलस्वरूप, अंग्रेज सरकार ने भारत के शासन की जिम्मेदारी सीधे अपने हाथों में ले ली।
- 2. देश के सभी शासकों को भरोसा दिया गया कि भविष्य में कभी भी उनके भूक्षेत्रा
पर कब्जा नहीं किया जाएगा। उन्हें अपनी रियासत अपने वंशजों, यहाँ तक कि दत्तक पुत्रों को सौंपने की छूट दे दी गई। लेकिन उन्हें इस बात के लिए प्रेरित किया गया कि वे ब्रिटेन की रानी को अपना अधिपति स्वीकार करें। इस तरह, भारतीय शासकों को ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन शासन चलाने की छूट दी गई। - 3. सेना में भारतीय सिपाहियों का अनुपात कम करने और यूरोपिय सिपाहियों की
संख्या बढ़ाने का फैसला लिया गया। यह भी तय किया गया कि अवध, बिहार, मध्य
भारत और दक्षिण भारत से सिपाहियों को भर्ती करने की बजाय अब गोरखा, सिखों और पठानों में से जयादा सिपाही भर्ती किए जाएँगे। - 4. मुसलमानों की जमीन और संपत्ति बड़े पैमाने पर जब्त की गई। उन्हें संदेह व
शत्रुता के भाव से देखा जाने लगा। अंग्रेजों को लगता था कि यह विद्रोह उन्होंने ही खड़ा किया था। - 5. अंग्रेशों ने फैसला किया कि वे भारत वके लोगों वके धर्म और सामाजिक रीति-रिवाजों का सम्मान करेंगे।
- 6. भूस्वामियों और जमींदारों की रक्षा करने तथा जमीन पर उनके अधिकारों को स्थायित्व देने के लिए नीतियाँ बनाई गईं।
अभ्यास-प्रश्नोत्तर
अध्याय 5. जब जनता बग़ावत करती है |
प्रश्न: झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की अंग्रेजों से ऐसी क्या माँग थी जिसे अंग्रेजों ने ठुकरा दिया ?
उत्तर: झाँसी की रानी के पति की मृत्यु के पश्चात् वे चाहती थी कि अंग्रेज उनके गोद लिए बेटे को राज्य का वैध उतराधिकारी मान ले | परन्तु अंग्रेजों ने इसे ठुकरा दिया | अंग्रेजों ने एक नियम बनाया था जिसे 'डैक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स' के नाम से जाना जाता है, इस नियम के अनुसार जिस भारतीय राजा की मृत्यु बिना किसी उतराधिकारी छोड़े हो जाती है अंग्रेज उस राज्य को अंग्रेजी हुकूमत में मिला लेते थे | ऐसा उन्होंने भारतीय राज्यों को हड़पने के लिए किया था |
प्रश्न: ईसाई धर्म अपनाने वालों के हितों की रक्षा के लिए अंग्रेजों ने क्या किया ?
उत्तर: ऐसे भारतीय जिन्होंने इसाई धर्म अपना लिया हो उन्हें अपने पूर्वजों की संपति प्राप्त करने का अधिकार दे दिया जाता था | ऐसा उन्होंने भारत में ईसाईकरण को बढ़ावा देने के लिए किया था |
प्रश्न: सिपाहियों को नए कारतूसों पर क्यों ऐतराज था ?
उत्तर: अंग्रेजी हुकूमत के समय बन्दुक में कारतूस लगाने के लिए सिपाहियों को कारतूस के ऊपर लगी खोल को पहले हटाना पड़ता था | ऐसी खबर थी कि इन कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था | ऐसी चीजों से हिन्दू और मुस्लिम सिपाहियों के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचती थी | जिसे सुनकर सिपाही भड़क गए और उन्होंने इसके इस्तेमाल से इंकार कर दिया था |
प्रश्न: अंतिम मुग़ल बादशाह ने अपने आखिरी साल किस तरह बिताए ?
उत्तर: अंतिम मुग़ल बादशाह बहादुरशाह जफ़र को सिपाही विद्रोह के समय बंदी बना कर वर्मा (अब का म्यांमार) की राजधानी रंगून की जेल में भेज दिया जहाँ उन्हें अपने जीवन के अंतिम दिन बितानेपड़े | ये दिन उनके जीवन के बहुत ही कष्टदायी रहे | इसी जेल में रहते 1862 में उनकी मृत्यु हो गई |
प्रश्न: मई 1857 से पहले भारत में अपनी स्थित को लेकर अंग्रेज शासकों के आत्मविश्वास के क्या कारण थे ?
उत्तर: मई 1857 से पहले अंग्रेजों को भारत में अपनी स्थिति को लेकर आत्मविश्वास काफी बढ़ा हुआ था | जिसके निम्न कारण थे |
(i) अंग्रेजों की सोंच थी कि भारतीय सैनिक उनके विश्वसनीय है | उन्ही के बल पर उन्होंने भारत में इतनी बड़ी ब्रिटिश साम्राज्य खड़ा किया था |
(ii) भारतीय सिपाहियों ने बहुत सी लड़ाइयाँ जीतकर अंगेजों की झोली में दी थी | उन्हें भारतीय सिपाहियों पर पूरा यकीन था |
(iii) वे ये भी जानते थे कि कई स्थानीय जमींदार और राजा उनके शासन का समर्थन करते हैं |
प्रश्न: बहादुर शाह जफ़र द्वारा विद्रोहियों को समर्थन दे देने से जनता और राज-परिवारों पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर: बहादुर शाह जफ़र द्वारा विद्रोहियों को समर्थन दे देने से जनता और राज-परिवारों पर निम्न असर पड़ा |
(i) बहादुरशाह जफ़र द्वारा विद्रोही सैनिकों के समर्थन देने से आम जनता उत्साहित हो गई | उन्हें अब लगने लगा कि अब अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेका जा सकेगा |
(ii) अंग्रेजों की नीतियों से राज-राजवाड़े भी परेशान थे, अंग्रेजों ने अपने नीतियों से कई भारतीय राजाओं के राज्यों को हड़प लिया था जिसमें अवध प्रमुख था, और झाँसी को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ा |
(iii) बहादुरशाह जफ़र के समर्थन के खबर से राज-परिवारों के ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी | उन्हें लगने लगा कि अब ब्रिटिश शासन ख़त्म हो जाएगी और उनके राज वापस मिल जायेगा |
प्रश्न: अवध के बागी भू-स्वामियों से समर्पण करवाने के लिए अंग्रेजों ने क्या किया ?
उत्तर: अवध के बागी भू-स्वामियों से समर्पण करवाने के लिए अंग्रेजों ने निम्न कार्य किया |
(i) अंग्रेजों ने घोषणा की कि जो भू-स्वामी ब्रिटिश राज के प्रति स्वामीभक्त बने रहेंगे, उन्हें अपने जमीन पर पारंपरिक अधिकार का उपयोग करने की स्वतंत्रता बनी रहेगी |
(ii) अंग्रेजों ने कई भू-स्वामियों, राजाओं और नबावों पर मुकदमे चलाये और अंत में फाँसी दे दी |
(iii) जिन भू-स्वामियों ने विद्रोह किया था, यदि उन्होंने किसी गोर लोगों की हत्या नहीं की थी और आत्मसमर्पण करना चाहते हो तो उनकी सुरक्षा की गारंटी दी जाएगी और उनकी जमीन पर उनके दावे और अधिकार का विरोध नहीं किया जायेगा |
प्रश्न: 1857 की वागवत के फलस्वरूप अंग्रेजों ने अपनी नीतियां किस तरह बदली ?
उत्तर:
(i) शासकों को उनके क्षेत्र पर शासन करने के अधिकार को सुनिश्चित किया गया |
(ii) उतराधिकारी के रूप में गोद लिए गए पुत्र को मान्यता दी गई |
(iii) ब्रिटिश सेना ने भारतीय सिपाहियों के अनुपात को कम कर दिया और ब्रिटिश सिपाहियों के अनुपात को बढ़ा दिया |
(iv) सेना में गोरखा, सिख एवं पठानों की संख्या को बढाया गया |
(v) मुसलमानों को संदेह और शत्रु की दृष्टि से देखा जाने लगा |
(vi) अंग्रेज अब भारतीय रिवाज, धर्म, परम्पराओं और सामाजिक प्रथाओं को सम्मान देने लगे |
(vii) जमींदार और भू-स्वामियों के उनके जमीनों पर अधिकार को और सुरक्षित बनाया गया |
प्रश्न: झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बारे में और पता लगाए | आप उन्हें अपने समय की विलक्षण महिला क्यों मानते है ?
उत्तर: रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 1828 क आस-पास बनारस में हुआ | उनके पिता मोरपन्त ताम्बे एक मराठी ब्राम्हण थे | उनकी माँ भागीरथी बाई एक सुसंस्कृत धार्मिक महिला थी | 14 वर्ष की आयु में उनकी शादी झाँसी के महाराज गंगाधर राव के साथ हो गया | कुछ वर्षों के बाद रानी लक्ष्मीबाई ने एक बेटे को जन्म दिया जो कुछ महीनों में चल बसा | 1853 में महाराज गंगाधर राव बीमार पड़े तो उन्होंने अपने दूर के रिश्तेदार के बेटे दामोदर राव को गोद ले लिया | उसके अलगे दिन ही महाराज की मृत्यु हो गई |
रानी लक्ष्मीबाई एक विलक्षण महिला थी जिसके निम्न प्रमाण है :
(i) रानी ने दावा किया कि दामोदर राव उनका वैध उतराधिकारी है | ब्रिटिश राज ने रानी के इस दावे को ठुकरा दिया और डाक्ट्रिन ऑफ लैप्स संधि के तहत उनके राज्य को अंग्रेजी हुकूमत में मिलाने का फैसला किया |
(ii) उन्हें झाँसी का किला छोड़ने को कहा गया | जबकि रानी लक्ष्मीबाई झाँसी की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध थी | और अंग्रेजों के साथ युद्ध छेड़ दिया |
(iii) उन्होंने ने एक सेना का निर्माण किया जिसमें महिलाएं एवं पुरुष दोनों थे | दो सप्ताह तक अंग्रेजों के साथ युद्ध हुआ जिसमें रानी ने अंग्रेजी सेना का बहुत ही दिलेरी से मुकाबला किया |
(vi) जून 1858 में रानी लक्ष्मीबाई की शिकस्त हुई और उन्हें मार दिया गया।
महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर
अतिरिक्त - प्रश्नोत्तर:
प्रश्न1: नील उगाने वाले किसानो की क्या समस्याएँ थी ?
उत्तर : नील उगाने वाले किसानो की प्रमुख समस्याएँ निम्न थी।
(1) किसानों को अपनी सारी उपज को मिल मालिको को सौंपने को विवश किया जाता था ।
(2) किसान जमींदारों की भूमि पर नील की खेती करते थें जों जबर्दस्ती उनकी फसल बगान मालिकों को बेंच देते थें ।
(3) अपनी जमींन का किराया चुकाने के लिए बार बार किसानों को बगान मालिकों से कर्ज लेना पडता था ।
प्रश्न2: 1857 ई0 की क्रांति के विफलता के क्या कारण थें ?
उत्तर : 1857 ई0 की क्रांति के विफलता के निम्न कारण थें।
(1) भारतीय क्रांतिकारी विभिन्न टुकडों एवं स्थानों पर बँटे हुए थें।
(2) भारतीय क्रांतिकारीयों के आस अत्याधुनिक हथियारों की कमी थी जबकि ब्रिटिश शासन के पास अत्याधुनिक हथियार और तोपें थी ।
प्रश्न3: 1857 ई0 की क्रांति के मुख्य कारण क्या थें?
उत्तर:
(1) अंग्रेजों ने पुराने जमींदारों की जमीनें व अधिकार छीन लीए ।
(2) अंग्रेजों ने सहायक व्यवस्था के अंर्तगत भारतीय शासकों से की गई संधिया तोडा। इससे काफी असंतोष बढा ।
(3) डलहौजी की डाक्ट्रीन ऑफ लैप्स की नितियों से झांसी और कई भारतीय शासकों को विद्रोह के लिए प्रेरित किया ।
(4) अंग्रेज अफसर भारतीय सैनिकों को घृणा की दृश्टि से देखते थे। लडाई से लौटने उन्हें भता भी नही मिलता था ।
(5) सैनिकों को अपनी राइफलों में गाय एवं सूअर की चर्बी पाले कारतूस चलाने को कहा गया । इन कारतूसों को चलाने से पहले मूँह से खोलना पडता था । अतः हिन्दू एवं मुसलमान सैनिक भडक उठे और उन्होंने बगावत कर दी।
प्रश्न4 : 1857 ई0 की क्रांति के तत्कालिक कारण क्या थें ?
उत्तर : 1857 ई0 की क्रांति के तत्कालिक कारणों में से प्रमुख कारण था सैनिकों को अपनी राइफलों में गाय एवं सूअर की चर्बी पाले कारतूस चलाने को कहा गया । इन कारतूसों को चलाने से पहले मूँह से खोलना पडता था । अतः हिन्दू एवं मुसलमान सैनिक भडक उठे और उन्होंने बगावत कर दी।
प्रश्न5: ताइपिंग विद्रोह क्या है ?
उत्तर: 1857 में दक्षिणी चीन में एक विशाल जनविद्रोह हुआ जिसे ताइपिंग विद्रोह के नाम से जाना जाता है | यह विद्रोह हाँग जिकुआंग के नेतृत्व में हजारों मेहनतकश, गरीब लोगों ने परम शांति के स्वर्गिक साम्राज्य की स्थापना के लिए लड़ाई लड़ी |
प्रश्न6: हाँग जिकुआंग कौन था और वह किस बात के खिलाफ था ?
उत्तर: हाँग जिकुआंग एक चीनी नागरिक था जिसने धर्मांतरण करके ईसाई धर्म अपना लिया था और वह कन्फ्युशियसवाद और बौध आदि परंपरागत चीनी धर्मों के खिलाफ था |
प्रश्न7: ताइपिंग के विद्रोही कैसे साम्राज्य की स्थापना करना चाहते थे ?
उत्तर: ताइपिंग के विद्रोही एक ऐसे साम्राज्य की स्थापना करना चाहते थे जहाँ ईसाई धर्म को माना जायेगा, जहाँ किसी के पास निजी सम्पति नहीं होगी, जहाँ सामाजिक वर्गों और स्त्री-पुरुष के बीच कोई भेद नहीं होगा, जहाँ अफ़ीम तम्बाकू, शराब के सेवन तथा जुए, वेश्यावृति और गुलामी पर पाबन्दी होगी |
प्रश्न8: ताइपिंग विद्रोह को दबाने के लिए किंग साम्राज्य के बादशाह की मदद कहाँ की सेनाओं ने की थी ?
उत्तर: चीन में तैनात अंग्रेज और फ्रांसिसी सेनाओं ने मदद की थी |
प्रश्न9: 1857 के बाद इतिहास का नया चरण शुरू हुआ | अब पहले वाली नीतियों के सहारे अंग्रेजी शासक शासन नहीं चला सकते है उन्हें बदलाव की आवश्यकता थीं | इस कथन की पुष्टि के लिए पाँच बिन्दुएँ लिखिए |
अथवा
प्रश्न: 1857 के बाद ब्रिटिश शासन ने भारत में क्या-क्या बदलाव किये ?
उत्तर: 1857 के बाद इतिहास का नया चरण शुरू हुआ और अंग्रेजी शासकों ने अपने शासन प्रणाली में निम्नलिखित बदलाव किये |
(i) अंग्रेज सरकार ने भारत के शासन की जिम्मेवारी सीधे अपने हाथों में ले ली | ब्रिटिश संसद ने ईस्ट इंडिया कंपनी के सारे अधिकार ब्रिटिश साम्राज्य के हाथों में सौप दिया |
(ii) देश के सभी शासकों को भरोसा दिया गया कि भविष्य में कभी उनके भूक्षेत्र पर कब्ज़ा नहीं किया जायेगा | भारतीय शासकों को ब्रिटिश शासन के अधीन शासन चलाने की छुट दी |
(iii) भारतीय सेना में भारतीय सिपाहियों का अनुपात कम करने और यूरोपीय सिपाहियों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया गया | मुसलमानों की जमीन और सम्पति बड़े पैमाने पर जब्त की गई |
(iv) अंग्रेजों ने फैसला किया कि वे भारत के लोगों के धर्म और सामाजिक रीती-रिवाजों का सम्मान करेंगे |
(v) भूस्वामियों और जमींदारों की रक्षा करने तथा जमीन पर उनके अधिकारों को स्थायित्व देने की नीतियाँ बनाई गयी |
महत्वपूर्ण-प्रश्नोत्तर
अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न 1: अंग्रेजों के कब्जे में जाने वाली आखिरी रियासत कौन सी थी ?
उत्तर : अवध |
प्रश्न 1: अंग्रेजों ने अवध का विलय किस आधार पर किया ?
उत्तर : 1801 में अवध पर एक सहायक संधि थोपी गयी और 1856 में अंग्रेजों ने उसे अपने कब्जे में ले लिया। गवर्नर-जनरल डलहौज़ी ने ऐलान कर दिया कि रियासत का शासन ठीक से नहीं चलाया जा रहा है इसलिए शासन को दुरुस्त करने के लिए ब्रिटिश प्रभुत्व जरूरी है। इसी आधार पर अवध का विलय कर लिया गया |
प्रश्न : अंग्रेजों ने मुग़ल शासन को पूरी तरह ख़त्म करने के लिए क्या किया ?
उत्तर : कंपनी ने मुगलों के शासन को खत्म करने की भी पूरी योजना बना ली
थी। इसलिए उन्होंने -
(i) कंपनी द्वारा जारी किए गए सिक्कों पर से मुगल बादशाह का नाम हटा दिया गया।
(ii) 1849 में गवर्नर जनरल डलहौशी ने ऐलान किया कि बहादुर शाह जफ़र की मृत्यु के बाद बादशाह के परिवार को लाल किले से निकाल कर उसे दिल्ली में कहीं और बसाया जाएगा।
(iii) 1856 में गवर्नर-जनरल कैनिंग ने फैसला किया कि बहादुर शाह जफ़र आखिरी मुग़ल बादशाह होंगे।
(iv) उनकी मृत्यु के बाद उनके किसी भी वंशज को बादशाह नहीं माना जाएगा। उन्हें
केवल राजकुमारों के रूप में मान्यता दी जाएगी ।
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History Chapter List
1. कैसे, कब और कहाँ
2. व्यापार से साम्राज्य तक
3. ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना
4. आदिवासी, दिकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना
5. जब जनता बगावत करती है |
6. उपनिवेशवाद और शहर
7. बुनकर, लोहा बनाने वाले और फैक्ट्री मालिक
8. Desi Janta ko sabhya Banana aur Rashtra ko shikshit karna
9. महिलाएँ, जाती एवं सुधार
10. दृश्य कलाओं की बदलती दुनियाँ
11. राष्ट्रीय आन्दोलन का संघटन
12. स्वतंत्रता के बाद
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